Search

भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा, हिंदू, बौद्ध और सिख भी होते हैं धार्मिक फोबिया के शिकार

UN : भारत ने कल शुक्रवार को यूनाइटेड नेशन में यहूदी-विरोधी, क्रिस्चियनोफोबिया या इस्लामोफोबिया की निंदा करते हुए हिंदू, बौद्ध और सिखों को प्रभावित करने वाले फोबिया पर जोर दिया. भारत ने इब्राहीम धर्मों से परे भी धार्मिक भय को पहचानने की जरूरत बताई. खबरों के अनुसार पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए प्रस्ताव पेश किया था, भारत ने इससे दूर रहा.                                                                                                          ">https://lagatar.in/category/desh-videsh/#google_vignette">

 नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें

गुरुद्वारों, मठों और मंदिरों पर  हमले बढ़ रहे हैं

इस मामले में यूनाइटेड नेशन में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि दशकों के मिल रहे सबूतों के आधार पर कह सकते हैं कि इस्लाम से इतर अलग धर्म के मानने वाले भी धार्मिक फोबिया यानी डर से प्रभावित हुए हैं. इस बात पर जोर दिया कि विशेष रूप से हिंदू विरोधी, बौद्ध विरोधी और सिख विरोधी तत्व भी सामने आये हैं. कहा कि गुरुद्वारों, मठों और मंदिरों जैसे धार्मिक स्थानों पर बढ़ते हमलों से यह स्पष्ट है कि फोबिया से अन्य धर्म भी प्रभावित हैं.

यह  यूनाइटेड नेशन को धार्मिक कैंप्स में बांट सकता है.

भारत ने चेताया कि ऐसे प्रस्ताव(इस्लामोफोबिया) अपनाने से ऐसी मिसाल कायम नहीं होनी चाहिए, जिससे अन्य धर्मों से जुड़े प्रस्ताव भी सामने आयें. यह संभावित रूप से यूनाइटेड नेशन को धार्मिक कैंप्स में बांट सकता है. रुचिरा कंबोज ने सलाह दी कि संयुक्त राष्ट्र के लिए यह जरूरी है कि वह ऐसी धार्मिक चिंताओं से अलग अपना रुख बनाये रखे, जो हमें एकजुट करने के बजाय हमें खंडित करने की क्षमता रखती है.

115 ने पक्ष में किया वोट, 44 देश दूर रहे

193 सदस्यीय यूएनजी ने पाकिस्तान द्वारा पेश प्रस्ताव इस्लामोफोबिया से निपटने के उपाय को एडॉप्ट किया. 115 देशों ने पक्ष में वोट दिया. किसी भी देश ने इसका विरोध नहीं किया. हालांकि, भारत, ब्राजील, फ्रांस, जर्मनी, इटली, यूक्रेन और ब्रिटेन सहित 44 देशों ने प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहे. [wpse_comments_template]